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दो पैरों की गाड़ी
जहाँ पैदल ही सारेे बच्चे जाते थे स्कूल, क्यों नैनीताल में रहने वाले कई बच्चे चलना गए हैं भूल? घर के सामने वाले पहाड़ पर था मेरा वो स्कूल, कँ...

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होली के रँगों में भीगे, अपने हर दोस्त के घर जाया करते थे, आलू के चटपटे पहाड़ी गुटके चम्मच होते हुए भी, माचिस की उल्टी तिल्लियों से खाया करते...
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कभी मुस्कुराहटें कभी आँसू , कभी आवाज़ तो कभी खामोशी, कभी शरारतें तो कभी भोलापन, और भी न जाने कितने रँग समाये हैं - हाँ जीवन भी एक इं...
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It was the rainy season in Nainital, Uttarakhand. I woke up to get ready for the school and noticed that Paa wasn’t home. Usually, by the ...